निरयण ग्रह स्थिति - 04 अक्टूबर 2023 देख रहें हैं Delhi, India
ग्रह स्थिति
4 अक्टूबर 2023,
(बुधवार)
निरयण ग्रह स्थिति
ग्रह | वक्री | राशि | राशि स्वामी | पूर्ण डिग्री | नक्षत्र | नक्षत्र स्वामी | घर |
---|---|---|---|---|---|---|---|
Lagna | - | मीन | गुरु | 05 : 48 : 46 | उत्तर भाद्रपद | शनि | 1 |
सूर्य | R | मेष | मंगल | 0 : 00 : 00 | अश्विनी | केतु | 2 |
चन्द्र | R | मेष | मंगल | 0 : 00 : 00 | अश्विनी | केतु | 2 |
मंगल | R | मेष | मंगल | 0 : 00 : 00 | अश्विनी | केतु | 2 |
बुध | R | मेष | मंगल | 0 : 00 : 00 | अश्विनी | केतु | 2 |
गुरु | R | मेष | मंगल | 0 : 00 : 00 | अश्विनी | केतु | 2 |
शुक्र | R | मेष | मंगल | 0 : 00 : 00 | अश्विनी | केतु | 2 |
शनि | R | मेष | मंगल | 0 : 00 : 00 | अश्विनी | केतु | 2 |
राहु | R | मेष | मंगल | 0 : 00 : 00 | अश्विनी | केतु | 2 |
केतु | R | कन्या | बुध | 05 : 48 : 46 | उत्तर फाल्गुनी | सूर्य | 7 |
लग्न विवरण
लग्न राशि | लग्न समय | लग्न समाप्त |
---|---|---|
कन्या | 05:05:09 | 07:21:28 |
तुला | 07:21:28 | 09:40:58 |
वृश्चिक | 09:40:58 | 11:59:33 |
धनु | 11:59:33 | 14:03:33 |
मकर | 14:03:33 | 15:45:50 |
कुम्भ | 15:45:50 | 17:13:15 |
मीन | 17:13:15 | 18:38:11 |
मेष | 18:38:11 | 20:13:24 |
वृष | 20:13:24 | 22:08:57 |
मिथुन | 22:08:57 | 00:23:34 |
कर्क | 00:23:34 | 02:43:54 |
सिंह | 02:43:54 | 05:01:13 |
ग्रहों की स्थिति
ज्योतिष में ग्रहों का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है।ज्योतिषीय भविष्यवाणी के लिए ग्रहों की स्थिति निरयण ग्रह स्थिति - 04 अक्टूबर 2023 देख रहें हैं Delhi, India". और उनकी दशाओं का अध्ययन किया जाता है। सभी ग्रहों की अपनी प्रकृति और अपना स्वभाव होता है। जो मनुष्य के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं। कुंडली का विचार करते समय ग्रहों की दृष्टि और उसके अन्य ग्रहों से संबंध को देखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। फल कथन इसी आधार पर किया जाता है कि कौन सा ग्रह किस घर को देख रहा है और वहां स्थित किस को प्रभावित कर रहा है ।
ग्रह क्या होते हैं
ग्रह आकाश मंडल में स्थित खगोलीय पिंड है जो गतिमान अवस्था में रहते हैं। इसमें सभी ग्रहों की एक निश्चित गति रहती है जैसेः चंद्रमा सबसे तेज गति से चलता है तो अतः चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है। इसी प्रकार शनि की गति सबसे धीमी रहती है और यह अपने गोचरकाल के दौरान एक राशि से दूसरी राशि पर जाने में लगभग ढ़ाई वर्ष का समय लेता है।यह ग्रह मनुष्यों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं ।
ग्रहों की स्थिति का महत्व
जन्म कुंडली से ग्रह और नक्षत्र की स्थिति का पता चलताहै इसलिए ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का प्रभाव आपके जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। इसे आपकी जन्मकुंडली से भली भांति समझा जा सकता है। ज्योतिष में नवग्रह कुंडली के 12 भावों के कारक होते हैं ।
कुंडली में ग्रहों की स्थिति का ज्योतिषीय अर्थ
सूर्य होरासूर्य की स्थिति
सूर्य को ग्रहों का राजा या यूं कहें तो पिता का दर्जा दिया गया है। सूर्य संजीवनी जैसा फल देता है, सूर्य आपकी आत्मा है इसीलिए, जन्मकुंडली का विचार करते समय ज्योतिषगण सबसे पहले सूर्य की स्थिति का विचार करते है। यह पूर्व दिशा में स्थान बली बनाता है। राशि चक्र की सिंह राशि पर इसका आधिपत्य है, इसलिए सिंह राशि में सूर्य स्वगृही बनता है। यह लगभग हर घर में 30 दिन रहता है।
कुंडली में सूर्य की अच्छी स्थिति पिता के साथ मधुर संबंधों का सूचक है, वहीं यह भी देखा गया है कि जिन जातकों की कुंडली में सूर्य दोषपूर्ण है, उन्हें पिता का समान्य सुख नहीं मिल पाता है। सूर्य को आत्म का कारक भी माना गया है, अतः कुंडली में सूर्य की अच्छी स्थिति आत्मिक दृढ़ता को दर्शाती है। व्यक्ति की आजीविका में सूर्य सरकारी पद का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य ग्रह की स्थिति मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच की होती है।
चंद्र की स्थिति
यह ग्रह वृषभ राशि में उच्च का और वृश्चिक राशि में नीच का होता है।चंद्रमा मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, यात्रा, सुख शांति, रक्त, धन संपत्ति, छाती, बायीं आँख आदि का कारक होता है। यह कर्क राशि का स्वामी होता है। चंद्रमा की गोचर अवधि सबसे कम यानि सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है।
मंगल की स्थिति
यह ग्रह मकर में उच्च का और कर्क में नीच का होता है। मंगल की आपकी कुंडली में स्थिति बहुत प्रभावकारी होती है। मंगल दोष के कारण आपके विवाह में कठिनाई आती है। यह भाई, ऊर्जा, शक्ति, साहस, पराक्रम और शौर्य का कारक होता है। मंगल की शुभ स्थिति आपको निडर, योद्धा और साहसी बनती है। मंगल एक राशि में लगभग डेढ़ महीना रहता है।
बुध की स्थिति
ज्योतिष में बुध ग्रह को एक शुभ ग्रह मानते है। बुध कन्या राशि में उच्च और मीन राशि में नीच का होता है। यह बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता और मित्रता का कारक होता है। यह लगभग 1 महीना एक राशि में रहता है।
बृहस्पति की स्थिति
बृहस्पति ग्रह को गुरु कहा जाता है। यह ग्रह कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। गुरु ज्ञान, संतान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य पवित्र स्थल, धन दान, पुण्य और वृद्धि का कारक होता है। अगर गुरु की स्थिति शुभ है तो आप के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। गुरु की स्थिति एक राशि में लगभग तेरह महीने की होती है।
शुक्र की स्थिति
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से आपको शारीरिक, भौतिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है इसलिए शुक्र को सुख, वैवाहिक सुख, शोहरत, भोग विलास, सौन्दर्य, कला, प्रतिभ, रोमांस और फैशन के क्षेत्र का कारक माना गया है। यह ग्रह मीन में उच्च का और कन्या में नीच का होता है। शुक्र के गोचर यानि एक राशि में करीब 23 दिन तक रहता है।
शनि की स्थिति
नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद होती है। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है।यह ग्रह तुला में उच्च और मेष में नीच का होता है। ज्योतिष में शनि ग्रह को दुख, आयु, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, तेल, सेवक, जेल, कर्मचारी आदि का कारक माना जाता है।
कुंडली में ग्रहों की स्थिति
सूर्य - एक महीना
चंद्रमा - ढ़ाई दिन
मंगल - 45 दिन
बुध - एक महीना
शुक्र - एक महीना
गुरु - 12 महीने
शनि - 30 महीने
राहु - 18 महीने
केतु - 18 महीने