मासिक पंचांग
2 December 2023 मासिक पंचांग | ||||||||||||||||||||
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कार्तिक – मृगशिरा | विक्रम संवत : 2080 | |||||||||||||||||||
Sunday रविवार |
मघा सिंह
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अश्लेषा कर्क
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स्वाति तुला
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धनिष्ठामकर
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कृतिकावृष
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Monday सोमवार |
कृतिकावृष
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मघा सिंह
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विशाखा वृश्चिक
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शतभिसा कुम्भ
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रोहिणीवृष
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Tuesday मंगलवारर |
रोहिणीवृष
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पूर्व फाल्गुनी सिंह
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अनुराधा वृश्चिक
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पूर्व भाद्रपद कुम्भ
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मृगशिरा वृष
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Wednesday बुधवार |
मृगशिरा मिथुन
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उत्तर फाल्गुनीसिंह
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ज्येष्ठा वृश्चिक
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आर्द्रा मिथुन
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Thursday गुरूवार |
आर्द्रा मिथुन
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हस्त कन्या
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मूल धनु
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रेवती मीन
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पुनर्वसु मिथुन
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Friday शुक्रवार |
पुनर्वसु मिथुन
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हस्त कन्या
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पूर्व षाढ़ाधनु
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अश्विनी मेष
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पुष्य कर्क
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Saturday शनिवार |
पुष्य कर्क
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चित्रा तुला
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श्रावण मकर
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भरणी मेष
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अश्लेषा कर्क
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मासिक पंचांग
पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।
मासिक पंचांग का चलनप्राचीन काल से प्रमुख स्थान रहा है। कैलेंडर का सबसे प्रमुख उल्लेख वेदों में पाया गया है, जो कि, 1200 ईसा पू से हिंदू नैतिक प्रणाली का प्रमुख आधार है।हिंदू कैलेंडर को बनाने में तारों की सहायता ली गई और सूर्य व चंद्रमा की खगोलीय घटना का सहारा लिया गया। पंचांग के पांच अंगों को जमाया गया। जिसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण के जरिए खगोलीय पिंडों पर नजर रखी जाने लगी। आज खगोलीय घटना को देखने के लिए आकाश की ओर नजर उठाकर देखने की जरुरत नहीं है बल्कि पंचांग की गणनाओं को देखकर भी सबकुछ बताया जा सकता है।
चंद्रमा की गति से दिन और मास का निर्धारण होता है। वहीं सूर्य की गति से वर्ष का निर्धारण होता है। चंद्र मास और सौर वर्ष मिलकर एक विक्रम संवत् बनाते हैं। यह ना केवल तिथि की जानकारी देता है बल्कि यह भी तय करता है कि मौसम इस वर्ष था, ठीक एक वर्ष बाद किस दिन ठीक ऐसा ही मौसम रहेगा।
हमारे त्योहार, उत्सव और उपवास तक हिंदू कैलेंडर के अनुरूप चलते हैं। आपको बताते हैं इसकी गणना
- प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के 15-15 दिन होते हैं।
- जब रात अंधेरी तो कृष्ण पक्ष और जब उजली तो शुक्ल पक्ष।
- पहले दिन को एकम या प्रतिपदा बोला जाता है, फिर द्वितीय या दूज, तृतीया या तीज, चतुर्थी या चौथ, पंचमी, षष्ठी-छठ, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी- तेरस, चतुर्दशी- चौदस।
- कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस –अमावस्या और शुक्ल पक्ष के अंत को पूनम- पूर्णिमा बोला जाता है।
- छह ऋतुओं के दो- दो माह होते है- बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर।
- वर्ष में दो अयन होते है जिन्हें दक्षिणायन और उत्तरायण कहते हैं।