2019 पंचक आरम्भ तथा समाप्त
पंचक चंद्रमा की स्थिति पर आधारित एक गणना है। गोचर के दौरान जब कुंभ राशि से मीन राशि तक रहता है तब इसे पंचक कहते हैं। इस दौरान चंद्रमा पांच नक्षत्रों में से गुजरता है। नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है। धनिष्ठा नक्षत्र का उत्तरार्ध, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र ये पांच नक्षत्र पंचक कहलाते है। इस अवसर में कोई भी शुभ कार्य करना मना होता है ।
पंचक आरम्भ :
बुधवार ( 9 जनवरी 2019 ) at 01:16 PM
पंचक समाप्त :
सोमवार ( 14 जनवरी 2019 ) at 12:53 PM
पंचक आरम्भ :
मंगलवार ( 5 फ़रवरी 2019 ) at 07:36 PM
पंचक समाप्त :
रविवार ( 10 फ़रवरी 2019 ) at 07:38 PM
पंचक आरम्भ :
मंगलवार ( 5 मार्च 2019 ) at 01:45 AM
पंचक समाप्त :
रविवार ( 10 मार्च 2019 ) at 01:19 AM
पंचक आरम्भ :
सोमवार ( 1 अप्रैल 2019 ) at 08:22 AM
पंचक समाप्त :
शनिवार ( 6 अप्रैल 2019 ) at 07:23 AM
पंचक आरम्भ :
रविवार ( 28 अप्रैल 2019 ) at 03:46 PM
पंचक समाप्त :
शुक्रवार ( 3 मई 2019 ) at 02:41 PM
पंचक आरम्भ :
शनिवार ( 25 मई 2019 ) at 11:44 PM
पंचक समाप्त :
गुरूवार ( 30 मई 2019 ) at 11:04 PM
पंचक आरम्भ :
शनिवार ( 22 जून 2019 ) at 07:40 AM
पंचक समाप्त :
गुरूवार ( 27 जून 2019 ) at 07:44 AM
पंचक आरम्भ :
शुक्रवार ( 19 जुलाई 2019 ) at 02:59 PM
पंचक समाप्त :
बुधवार ( 24 जुलाई 2019 ) at 03:43 PM
पंचक आरम्भ :
गुरूवार ( 15 अगस्त 2019 ) at 09:29 PM
पंचक समाप्त :
मंगलवार ( 20 अगस्त 2019 ) at 10:29 PM
पंचक आरम्भ :
गुरूवार ( 12 सितंबर 2019 ) at 03:29 AM
पंचक समाप्त :
मंगलवार ( 17 सितंबर 2019 ) at 04:23 AM
पंचक आरम्भ :
बुधवार ( 9 अक्टूबर 2019 ) at 09:42 AM
पंचक समाप्त :
सोमवार ( 14 अक्टूबर 2019 ) at 10:21 AM
पंचक आरम्भ :
मंगलवार ( 5 नवंबर 2019 ) at 04:48 PM
पंचक समाप्त :
रविवार ( 10 नवंबर 2019 ) at 05:20 PM
पंचक आरम्भ :
मंगलवार ( 3 दिसंबर 2019 ) at 12:58 AM
पंचक समाप्त :
रविवार ( 8 दिसंबर 2019 ) at 01:29 AM
पंचक आरम्भ :
सोमवार ( 30 दिसंबर 2019 ) at 09:36 AM
पंचक समाप्त :
शनिवार ( 4 जनवरी 2019 ) at 10:06 AM
पंचक क्या होता है
चंद्रमा एक राशि में ढ़ाई दिन रहता है अतः दो राशियों (कुंभ से मीन) में चंद्रमा पांच दिन तक रहता है। इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र से गुजरता है और इस कारण ये पांचो दिन पंचक कहे जाते हैं।जब चंद्रमा 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है तब प्रत्येक महीने में लगभग 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र का चक्र बनता रहता है। पंचक के समय कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है, इसे अशुभ नक्षत्रों का योग माना जाता है इसलिए पंचक के समय कोई भी शुभ कार्य करना हानिकारक होता है, हालांकि कुछ कार्य ऐसे भी हैं जिनके करने पर पाबंदी नहीं होती है ।
ऐसी मान्यता है कि पंचक काल में कोई कार्य हो तो पांच बार उसकी आवृत्ति होती है इसलिए इस समय में किए गए कोई भी कार्य अशुभ नतीजे देते हैं। पंचक काल या पंचक योग का मनुष्य के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस कारण ज्योतिष शास्त्र में पंचक की गणना अति आवश्यक है ।
पंचक का महत्व
हमारी संस्कृति में सभी कार्यों को मुहूर्त देखकर करने का विधान है। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य सफलता प्रदान करते हैं और मुहूर्त के बिना किए गए कार्य में सफलता का संदेह होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए पंचक को विशेष महत्व दिया गया है।
पंचक के प्रकार
पंचक पांच प्रकार के होते हैं-
1- रोग पंचकः रविवार के दिन प्रारंभ पंचक को रोग कहते है। इसमें आपको पांच दिन का शारीरिक व मानसिक तनाव रहता है। यह पंचक हर तरह के मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है ।
2- राज पंचकः सोमवार को प्रारंभ होने वाले पंचक को राज पंचक कहते है। इस पंचक के समय सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है। यह पंचक शुभ माना जाता है। इस दौरान संपत्ति से जुड़े कार्य करना शुभ होता है ।
3- अग्नि पंचकः मंगलवार को शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहते हैं। इस दौरान आप कोर्ट कचहरी और विवाद आदि के फैसलों पर अपना हक प्राप्त करने के लिए अनेक कार्य कर सकते हैं। यह पंचक अशुभ माना जाता है इसी वजह से इसी पंचक में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तथा मशीनरी, औजार के काम की शुरुआत करना अशुभ होता है क्योंकि पंचक में नुकसान होने की पूरी संभावना रहती है ।
4- चोर पंचकः शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहते हैं। इस पंचक में यात्रा वर्जित है, चोर पंचक के समय लेन देन, व्यापार संबंधित कार्य नहीं करने चाहिए, इससे धन की हानि होती है ।
5- मृत्यु पंचक- शनिवार को प्रारंभ होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। इस पंचक के दौरान मनुष्य को मृत्यु के समान कष्ट से गुजरता पड़ता है। शारीरिकअथवा मानसिक दोनों तरह से मनुष्य को मृत्यु पंचक के समय पीड़ा उठानी पड़ती है। इसके प्रभाव से दुर्घटना, चोट लगने का खतरा बना रहता है ।
क्यों वर्जित हैं पंचक में ये पांच कार्य
1- पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए इससे अग्नि का भय रहता है।उपायः पंचक में अगर ईंधन खरीदना जरुरी हो तो आटे से बने तेल का पंचमुखी दीपक शिवालय में जलाने के बाद ही ईंधन खरीदें ।
2- पंचक में किसी की मृत्यु होने से और पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से उस कुंटुब य निकटजनों में पांच लोगों की मृत्यु होने की संभावना रहती है।उपायः पंचक में शव कादाह संस्कार करते समय अलग अलग पुतले बना कर उन्हें भी शव के साथ जलाएं ।
3- पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा, यम कीदिशा मानी जाती है। इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।उपायः पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करने से पहले हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी से यात्रा की सफलता के लिए प्रार्थना करते हुए उनको पांच फल चढ़ाएं और यात्रा करें ।
4- पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, इसे घर में धन की हानि और क्लेश होता है।उपायःपंचक में अगर छत डवाना है तोमजदूरों को मिठाई खिलाने के बाद, उन्हें प्रसन्न करके छत डलवाने का कार्य करे ।
5- मान्यता है कि पंचक मेंपलंग, चारपाई या फर्नीचर बनवाना भी बड़े संकट को न्योता देना होता है।उपायः पंचक मेंअगर लकड़ी का फर्नीचर बनवाना है तो गायत्री हवन करवाकर ही लकड़ी का सामान खरीदेंऔर बनवाएं ।
पंचक काल के समय क्या करें और क्या ना करें
जैसा हमने बताया पंचक सभी कार्यों के लिए अशुभ नहीं होता है बल्कि कुछ कार्यों के लिए पंचक अत्यंत शुभकारी माने जाते हैं। आईये जानते हैं कौन से हैं वे कार्य जो पंचक के दौरान किए जासकते है-
पंचक के दौरान जो नक्षत्र होता हैं उनमें कुछ विशेष योगों का निर्माण भी होता है जैसै कि धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र यात्रा करने, मुंडन कार्य तथा व्यापार आदि शुभ कार्यों के लिए प्रशस्त माने गए हैं। पंचक काल के समय गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, भूमि पूजन, रक्षाबंधन, भाई दूज मानाया जा सकता है। ये कार्य पंचक काल के समय किए जा सकते हैं ।
पंचक काल के समय शादी, मुंडन और नामकरण संस्कार वर्जित है। इन कार्यों को पंचक काल के समय करने की मनाही होती है ।