हमारे हिंदू धर्म में सर्वप्रथम पूज्यनीय देव गणेश जी माने गए हैं। बिना गणेश जी की पूजा के किसी भी देवता की पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है। इसलिए किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत श्रीगणेश के साथ की जाती है। शास्त्रों में धन की देवी माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है। मां लक्ष्मी और श्रीगणेश की पूजा से सुख—समृद्धि के साथ धन, वैभव, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। किंतु, क्या आप जानते हैं माता लक्ष्मी भगवान गणेश जी के दाहिनी ओर क्यों विराजती है? आइये जानते हैं इससे जुड़ी ये कथा
माता लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन का महत्व
शास्त्रों में माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। वहीं गणेश जी को बुद्धि का देवता कहते हैं।धार्मिक परिपेक्ष्य से धन और बुद्धि का एक साथ होना आवश्यक माना जाता है। माता लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक संपन्नता मजबूत होती है, जबकि भगवान गणेश जी पूजा से मनुष्य को सुख—समृद्धि व बुद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश जी की पूजा अति आवश्यक करनी चाहिए।
क्या है माता लक्ष्मी के गणेश जी के दाहिनी ओर विराजने का कारण
एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी के कोई संतान नहीं थी। जिसके कारण वह काफी दुखी थी। अपनी व्यथा लेकर माता लक्ष्मी पार्वती के पास पहुंची और प्रार्थना कर कहा कि वे अपने एक पुत्र को उन्हें सौंप दें। माता पार्वती ने मां लक्ष्मी की यह प्रार्थना स्वीकार कर ली और अपने पुत्र गणेश को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में दे दिया। तब से भगवान गणेश मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र के रूप में पूजे जाते हैं।
गणेश को अपने पुत्र के रूप में पाकर मां लक्ष्मी काफी प्रसन्न हुईं और उन्होंने गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरे साथ तुम्हारी पूजा करेगा उनके घर मैं भी निवास करूंगी। माता लक्ष्मी और गणेश जी के बीच माता पुत्र का संबंध है और माता सदैव अपने पुत्र के दाहिनी ओर विराजती हैं, यही कारण है कि मां लक्ष्मी भगवान गणेश की दाहिनी ओर विराजमान रहती हैं।
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