रामायण काल में किसने रखा था छठ मईया का व्रत, कैसे हुई इस पर्व की शुरुआत...जानें पौराणिक कहानी
हमारे देश में छठ पूजा का बहुत अधिक महत्व है। छठ पूजा में चार दिनों तक पूजा होती है और महिलाएं छठ पूजा का व्रत करती है। इस व्रत में पहले दिन नहाए खाए, दूसरे दिन खरना होता है जिसमें छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। वहीं तीसरे दिन की शाम को सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा की महत्ता का अंदाजा इस बात पर लगाया जा सकते हैं कि रामायण काल में भी छठ पूजा का जिक्र मिलता है। आइए आपको बताते हैं कि रामायण काल में किसने रखा था छठ मईय्या का व्रत और क्या है इसके पीछे कारण।
रामायण काल में किसने किया था यह व्रत
रामायण के अनुसार छठ पर्व का व्रत माता सीता ने किया था। भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था।आपको बता दें कि रावण एक ब्राह्मण था इसलिए भगवान राम पर ब्राह्मण हत्या का पाप चढ़ गया। एक ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त करने के लिए ऋषि मुनियों ने राजसूय यज्ञ करने का निर्णय लिया। इस यज्ञ के लिए ऋषि मुद्गल को बुलाया गया था परंतु ऋषि मुद्गल ने यज्ञ में आने की जगह भगवान राम और सीता माता को अपने ही आश्रम में आने के लिए कहा। ऋषि वाल्मीकि ने भगवान राम को बताया कि यदि मुग्दल ऋषि नहीं आए तो उनका यज्ञ विफल हो जाएगा।
यह सुनने के बाद भगवान राम और माता सीता मुग्दल ऋषि के आश्रम में गए। मुग्दल ऋषि ने देवी सीता को भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करने की सलाह दी। तब माता ने मुंगेर के मंदिर में ही पूजा की।
ब्रह्महत्या मुक्ति का था रास्ता ।
आनंद रामायण के अनुसार, रावण को मारना पाप था क्योंकि वह एक ब्राह्मण था इसलिए भगवान राम के लिए इस पाप से मुक्त होना आवश्यक था। ऐसा माना जाता है कि ऋषि मुग्दल और भगवान राम ने ब्रह्महत्या से मुक्ति के लिए यज्ञ किया था, जबकि माता सीता ने उपवास रखा था और सूर्य देव की पूजा करते हुए पश्चिम में डूबते सूर्य और पूर्व में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया था।
महापर्व छठ पूजा का महत्व
सूर्य देव और छठी मईया को समर्पित इस त्योहार पर महिलाएं निर्जला व्रत रखकर नदी में डुबकी लगाकर सूर्य देव की प्रार्थना करते हैं और विधि विधान के साथ माता छठ की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में इस व्रत को करने से सूर्य देव और छठी मईया की कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है और घर में सुख समृद्धि आती है। महिलआं यह व्रत मुख्य रुप से अपनी संतान के उज्जवल भविष्य की कामना करने के लिए करती हैं। हिंदू धर्म में छठ पूजा का बहुत अधिक महत्व माना जाता है।
आपको बता दें कि यह व्रत सैकड़ों यज्ञ करने से भी ज्यादा फलदायी माना जाता है। महिलाओं के अलावा यह व्रत कुंवारी लड़कियां और लड़के अपने उज्जवल भविष्य की कामने के लिए रखते हैं।
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