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घर में लड्डू गोपाल की पूजा करने से पहले जान लें ये जरूरी नियम, जो आपके लिए हैं बड़े काम की बात

May 28, 2023
  • Birthastro

हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण का अपना एक अलग स्थान है। हर घर में इनकी पूजा होती है। कोई इन्हें लड्डू गोपाल के रूप में पूजता है तो कोई इन्हें कान्हाजी के रूप में। कृष्ण जी के बाल स्वरूप को लड्डू गोपाल के नाम से जाना जाता है, जिनकी सेवा ठीक उसी प्रकार से की जाती है जैसे कोई अपने नवजात शिशु को पाल पोसकर बड़ा करता है।


यह पूजा गर्भवती महिलाओं के द्वारा विशेष रूप से की जाती है, ताकि वे एक स्वस्थ शिशु को प्राप्त कर सकें और उसे सुरक्षा और शुभकार्यों का आशीर्वाद दे सकें। ऐसे में अगर आपके घर में लड्डू गोपाल विराजते हैं तो आपके लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है।


1. सही स्थान का चयन करें- अगर लड्डू गोपाल को घर में लाना चाहते हैं तो सर्वप्रथम एक पवित्र और शांतिपूर्ण स्थान चुनें जहां आप लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं।

2. मूर्ति का सही चुनाव-. लड्डू गोपाल जी की मूर्ति घर में लाने से पहले उसकी सही व्यवस्था करनी चाहिए। एक छोटी या माध्यम आकार की लड्डू गोपाल की मूर्ति चुनें। आप इसे आपकी आराध्य देवी/देवता के साथ स्थापित कर सकते हैं या फिर इसे अकेले ही स्थापित कर सकते हैं।

3. कैसे करें मूर्ति स्थापित- मूर्ति की स्थापना करने के लिए एक पूजा स्थान के ऊपर एक सजावटी चौकी या मंडप प्रदान करें। फिर मूर्ति को ध्यान से सजाएं और मंडप पर रखें।

4. तिथि का चुनाव- स्थापना की तिथि ज़रूर चुनें। लड्डू गोपाल की मूर्ति की स्थापना की सही तिथि चुनें। यह तिथि जन्माष्टमी या किसी अन्य शुभ मौके पर हो तो सर्वश्रेष्ठ होता है।

5. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फूल, अर्चना सामग्री, दीपक, धूप, अक्षत, नैवेद्य, पुष्प, तुलसी पत्र, गंध, आदि इकट्ठी कर लें।

6. सही विधि- लड्डू गोपाल की पूजा के लिए आप विधि पुस्तिका, पंडित या पूजारी से सलाह भी ले सकते हैं। विधि के अनुसार, मूर्ति की प्रार्थना, आरती, मन्त्र जाप, नैवेद्य, धूप, दीपक, आदि करना चाहिए।

7. विधि विधान का चयन- विधि के अनुसार, पूजा संप्रार्भ करें और अपने मन और भावना से लड्डू गोपाल की पूजा करें।

8. नियमित रूप से करें पूजा- लड्डू गोपाल की स्थापना करने के बाद, नियमित रूप से लड्डू गोपाल की पूजा करें और उन्हें फल, मिठाई, दूध, मखाने आदि का भोग ज़रूर लगाएँ। साथ ही उन्हें नियमित रूप से स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं।




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